इश्क , मोहब्बत और प्यार की शायरियां | Pyaar Ishq Aur Mohabbat ki Shayari
है अश्क भी एक लाल रंग, खूने-जिगर से देखिए
तैराक भी कितने यहाँ प्यासे ही मर गए
संसार की नदी में भी जरा निकल के देखिए
खुशबू से भींग जाएगी, नाज़ुक सी उंगलियाँ
मेरे दिए गुलाब को आप मसल के देखिए
ये हुस्न देखकर ही तो वो चाँद परेशान है
वो जल रहा है आपसे, अपने ही छत से देखिए
2.चाँद आया है फलक पे सूरज की जगह
हो गई अब ये धरती रहने की जगह
भीड़ लग जाती है दरिया पे अब शामों में
कहाँ ढूँढेगी ये तन्हाई बैठने की जगह
ईँट पत्थर के जंगलों में भटकती चिड़िया
जाने किस पेड़ पे है बाकी रहने की जगह
सो रहे हैं सभी लोग इस बस्ती में
जागता है कोई दर्द ही सोने की जगह
3.चाँद बदन को चूम रहा है, दरिया गुमसुम लेटी है
पंखा झलती है हवाएँ, हलचल थोड़ी होती है
बादलों की छत से सितारे, देख रहे हैं आँखे फाड़े
बैठ गगन भी सोच रहा है, धरती सुंदर लगती है
आज भी परदेश गया है, सूरज शाम की गाड़ी से
दिन के रथ पे बैठके फिर से रात की रानी आई है
वक़्त का पहरा हुआ ढीला,उसने पी ली इश्क की बोतल
मौसम भी आजाद हुआ है, मिलन की खुशबू उड़ती है
4.जान देने के सिवा एक और चारा है
इस जुदाई में लिखना भी एक सहारा है
शाम कट जाती है दरिया पे बैठे-बैठे
रात संग चाँद-सितारों का उजाला है
चंद रिश्तों को हम आज भी निभाते हैं
उनसे मिलना भी मेरे दिल को गँवारा है
भले दुनिया नहीं देखेंगे इन आँखों से
मौत की राह देखना भी एक नजारा है
5.वो मुसाफिर भी किसी मोड़ पे भला क्यूँ रूकता
जिसके पैरों में न जंजीरें थी, वो भला क्यूँ रूकता
कहीं माजी के इशारे पे मैं पीछे न मुड़ा
छूटे लम्हों की राहों पे आख़िर मैं क्यूँ चलता
दश्त में खौफ था फैला किसी आँधी का
ऐसे माहौल में एक पत्ता भी भला क्यूँ हिलता
सामने आते ही जिसके मैं आईना बन गया
फिर मुझे खुद में उसके सिवा कोई क्यों मिलता
6.दर्द ये क्या है इस दर्द पे ही बात करो
और कुछ भी नहीं बस आँसुओं की बात करो
न ये दुनिया, न ही रिश्ते, न ही बंधन की
इन हवाओं में उड़ते पंछियों की बात करो
राज़ तन्हाई की और बोलियाँ निगाहों की
मुझसे कुदरत की ख़ामोशियों की बात करो
मुझे समझा न सकोगे कभी दोस्त से
सोचने की नहीं, अहसासों की बात करो
7.सारी दुनिया में मेरा नाम जो भी सुनता है
पहले हँसता है फिर दीवाना मुझे कहता है
तुमको फुरसत ना मिली कर्ज को चुकाने से
तेर पास आशिक के लिए कुछ नहीं बचता है
तोड़ ना पायी तुम पत्थर के इन दीवारों को
दिल तेरा आशियाँ के कब्र में ही मरता है
रूख हवाओं का जाने कब बदल जाएगा
मौसमे-बेवफा में दिल का दीया जलता है
8.बंद आँखों में ये आँसू जलते गए, जलते गए
नींद में भी दर्दे राह पे चलते गए, चलते गए
आँसुओं से रंग दी हमने अपनी कितनी ही गज़लें
रो-रो के ही दिल की बातें लिखते गए, लिखते गए
लोगों ने शम्मे जलाए जाने किन-किन चीजों से
हम दो शम्मे में आँसू को भरते गए, भरते गए
तेरी आँखों में भी हमने आँसू ही तो देखे थे
इसलिए तो तुमसे मुहब्बत करते गए, करते गए
Love Sove Ki Shayari
9.जिसको भी चाहा रे तुमने, खो गया रे खो गया
जिसको भी अपना माना, छल गया रे छल गया
खोजने निकला था मैं एक आशियाँ सुकून का
मयक़दे में आके शराबी, बन गया रे बन गया
अब न वो दुनिया रही, अब न वो रिश्ते रहे
अब तन्हाई में मुहब्बत मिल गया रे मिल गया
ये दरो-दीवार मुझको कैद ना रख पाएगी
रूह तो पंछी है कोई, उड़ गया रे उड़ गया
10.कोई दरवाज़े पे दस्तक देकर चली गई
आधी रातों में वो दिल को छूकर चली गई
मैं बरसता भी तो कैसे अबके सावन
वो अपनी ज़ुल्फों में मुझे लेकर चली गई
वो कुदरत के नज़ारों से भी सुंदर है
अपनी तस्वीर मेरे दिल को देकर चली गई
दिल धड़कता है, धड़कने की सज़ा पाता है
मुझे दर्द भरी साँसे वो देकर चली गई
11.आज भी इंसानी दुनिया रीत में पुराने हैं
कितनी सदियाँ बीत गई, आनेवाली हजारों हैं
जोड़ सकना भी ख़ुदा के हाथ की अब बात नहीं
क्या करेगा वो भला भी, बेवफा हजारों हैं
कोई ना बतलाए किसी को, किस तरह से वो जीए
जीने के हैं लाखों तरीके, जीनवाले हजारों हैं
बातें करने में तो हमसे दुनिया वाले बेहतर हैं
राम-राम को रटने वाले रावण यहाँ हजारों हैं
12.मेरे जीवन में बड़ी दूर तक वीरानी है
इस जमाने को इस बात पे हैरानी है
एक मुद्दत से खुला है मेरा दरवाज़ा
चोर तक को यहाँ आने में परेशानी है
इस फ़कीरी में भला कौन साथ देता है
लोग कहते हैं कि यह मेरी नादानी है
इश्क मुझको है तुमसे, चीज़ों से नहीं
दिले-नाचीज़ है कि तू भी दीवानी है
13.आह ये मुरझाया गुलाब जाने कब खिलेगा कब इसमें लाल रंग का खूने-इश्क बहेगा
तोड़ा है जमाने ने जिस शाख से इसको जाने कब उन बाहों का फिर साथ मिलेगा
फरियाद कर सका न वो, खामोश रह गया लेकिन टूटकर भी इतना जोश रह गया
महकता रहा, सजता रहा वह महफिलों में फिर एक दिन सूखकर मायूस रह गया
आशियां में पड़ा है किसी गुलदान में या बिकने को रखा है किसी दुकान में
कातिल हो गई उनकी ही उंगलियां ये गुलाब खिला था यहां जिसके मकान में
14.लो मेरे वालिद तेरे कदमों में हमने
अपनी रूह गिरवी रख दी
तूने बेबस को जमाना दिया
खेलने के लिए खिलौना दिया
रोटी-मकां का सहारा दिया
तेरे अहसानों के बदले में
लो मेरे वालिद तेरे कदमों में
हमने ये रूह गिरवी रख दी
ये जिंदगी तेरी गुलामी में है
भुलूंगी जो खता जवानी में है
इस दिले-नादां का खूं कर दूँगी
जहाँ बाँधोगे, खुद को बाँध लूँगी
लो मेरे वालिद, तेरी इज़्जत के लिए
हमने अपनी रूह गिरवी रख दी
मेरे आशिक तुझे जख़्म दे रही हूँ मैं
बेवफाई का रस्म निभा रही हूँ
आशिक को आँसू का सामां देकर
लो मेरे वालिद, तेरे कदमों में
हमने अपनी रूह गिरवी रख दी
Mohabbat bhar-Shayari Collection
15.ठहर जा ऐ सावन, ठहर जा ऐ बादल
बहने दे निगाहों से थोड़ा तो काजल
छोड़के ओ फरिश्ते तुम जा न सकोगे
जब चिड़िया तुम्हीं से हुई है रे घायल
जानती हूं तुझे जाने कितनी सदी से
जुदाई में भीगा है बरसों से आँचल
अब तू ही सहारा है ओ रोती दरिया
तेरे बिन किधर जाएगा तन्हा सागर
16.वो भी क्या रातें थी जब खूब जगा करता था
क्या ख़बर थी कि मैं खुद से दगा करता था
जो हकीकत भी नहीं था, फसाना भी नहीं
मैं कहीँ बीच की मंजिल पर रहा करता था
फासलों में भी कई तार थे जुड़ने के लिए
बस यही सोचके तुम्हें याद किया करता था
कुछ शिकायत थी तुमसे भी, खुद से भी
ने कुछ दर्द था, गजल में लिखा करता था
17.एकं श्मशान से आसमान से गुजरते हुए
हमने देखा है सितारों की चिता जलते हुए
मर चुके सावन को काँधे पर ले चली है हवा
बादलें संग चल रहे हैं बहुत रोते हुए
एक दरिया में डूब गया था चाँद का हुस्न
और आईना टूट गया था उसे देखते हुए
इस अदा से मेरे दिल में गुलाब खिला
मुझे अच्छे लगे ये काँटे सभी चुभते हुए
18.मै परिंदों की तरह आस्मा में उड़ता था
आठों पहर तेरे ख़यालों में डूबा रहता था
मुझपे इतनी तो इनायत की सनम तुमने
मुस्कुराती थी जब तुमको सनम कहता था
तू जो खोयी तो ये सारा जहां वीरान हुआ
अब वो जोगी हुआ जो कल तेरा दीवाना था
मैं तो टुकड़ों को जोड़ता हूँ कि तुझे देखूँ
तू ही तस्वीर थी और दिल मेरा आईना था
19.तेरी जुल्फ में लगा सकूं, वो कली न मैं खिला सकूं
बेबस खिजां में बैठा हूं, वो बहार भी न मैं ला सकूं
सावन की एक फुहार से मैंने मांग ली कुछ बूंद भी
जिसे आंख में तो भर लिया, उसे अब न मैं गिरा सकूं
कहा भी क्या समझा नहीं, देखा भी क्या सोचा नहीं
यूं खो गया मैं खुद में ही कि कहीं भी न मैं जा सकूं
सर पे जब सदियां गिरी, मैं फलक में जाके धंस गया
अब चांद के मानिंद मैं जमीं पे भी न आ सकूं
20.मुझे दिल से जो भुला दिया, तो तूने क्या बुरा किया कांटे का दामन छोड़ कर, जो भी किया अच्छा किया
आवारगी की राह पे चलके मुझे मंजिल मिली जिसने मुझे बेघर किया उसने भी कुछ भला किया
जिनके घरों में आंसू थे वहीं पे मुझे पानी मिला इस शहर में मेरी प्यास ने कुछ ऐसा तज़रबा किया
ऐ दिल बता तुझे क्या मिला मेरे दाग से खेलकर तूने दर्द से सौदा किया, अपनी गजल बेचा किया
21ये जान गँवा दी, ये जुबां गँवा दी
हमने तेरे इश्क में दो जहान गँवा दी
सीने में पड़े थे दिल के हजार टुकड़े
एक नज़र से तूने उनमें आग लगा दी
मेरे लब चूम लेते माहजबीं को मगर
उसने हथेलियों में रूखसार छुपा ली
जब चाँद को देखा तो हमने अचानक
अपने ही आशियाँ का चिराग़ बुझा दी
22.जान कितनी है बची, साँस कितनी है बची
दिल बता दे कि मेरी प्यास कितनी है बची
क्या जरूरत है तुझे गर्दिशों के जुग़नू की
हुस्न की ये रोशनी तेरे पास कितनी है बची
जब भी तुम याद करोगे मैं चला आऊँगा
मेरे अंदर तेरी ये तलाश कितनी है बची
कभी शायद मेरी भी गमे-दुनिया सँवर जाए
मेरी जाँ, तेरे आने की आस कितनी है बची
Pyaar Mohabbat ki Shayariya
23.मुझे दुनिया का दस्तूर निभाना नहीं आता
जान देना ही आता है, जान लेना नहीं आता
कोई भरता नहीं अपने दिल का खाली पन्ना
आँसुओं से यहाँ सबको लिखना नहीं आता
कैसा जंगल है ये समाज देखिए तो जहाँ
घोंसलों में पंछियों को रहना नहीं आता
रोज़ आते हैं सभी लोग यहाँ दैरो-हरम
माँगना आता है सबको, बाँटना नहीं आता
24.बीती बातों को दुहराने से फ़ायदा क्या है
बेवफा होना था उसे, वो हुआ, बुरा क्या है
किस तरह बाँटता है ऐ खुदा बंदों को सिफ़त
तेरी दुनिया में ये कम और ज़्यादा क्या है
लोग जब दिन-रात प्यार के गीत सुनते हैं
फिर इस जहान का ये खून-ख़राबा क्या है
कोई देखेगा वो जो मन में बसा रखेगा
ये मेरे सामने हो रहा रोज़ तमाशा क्या है
25.शाम तो रख लिया अब रात को मैं कैसे रखूँ
इतने उदास लम्हों को एक दिल में मैं कैसे रखूँ
हाथ आए थे चंद अश्क, छिटक के भाग गए
अपनी आँखों में उसे बाँध कर भला मैं कैसे रखूँ
जो हवा के साथ मेरे दिल तक चले आए हैं
इन गर्द-गुबारों को इस जिगर में अब मैं कैसे रखूँ
बूँद बनकर वो मेरे जिस्म में भींज गया है
ऐसे सावन को तेरे तोहफ़े के लिए मैं कैसे रखूँ
26.अभी बरसात है, कभी रूकती कभी गिरती हुई
और एक शाम है भीगी हुई सी ढलती हुई
कौन जाने कि ये घटाएँ कहाँ तक जाएँगी
जाने किस मोड़ पे बेवफा होगी हवा चलती हुई
जिस जगह कोई तलाशेगा वज़ूद अपना
वहीं मिल जाएगी एक दरिया उसे रोती हुई
ये फलक़ कितने मुसाफिरों का आशियाना है
फिर भी चिंगारियाँ हैं उसके दामन में जलती हुई
27.मैं तो पीती हूँ कि साँस लेने में दिक्कत ना हो
कोई तो शख़्स हो जिसे मुझसे शिकायत ना हो
वो मिला था कितनी बार मैं गिन ना सकी
अब जो मिल जाए तो फुरक़त की नौबत ना हो
रूह जि़ंदा है मगर ज़िस्म एक बोझ सा है
अपने शानो पे किसी की ऐसी मैयत ना हो
तिश्नगी है, तमन्ना है और अब तन्हाई भी है
मेरी महफ़िल में तबस्सुम की कोई आहट ना हो
28.उदास रात का मंजर है कैसा धुंधला-धुंधला
देखिए आज तो मौसम है कुछ बदला-बदला
मायूस अंधेरे के साये में जी रहा हूँ तन्हा
जाने कब चाँद दिखेगा मुझे उजला-उजला
इस ज़माने के गुलशन को गौर से देखा
मुझे हर फूल मिला घर में मसला-मसला
हम तो कहते हैं आपसे है जनम का रिश्ता
आप क्यों इस प्यार को कहती हैं पहला-पहला
29.हम वस्ल के वहम में जीये जाएँगे
हिज़्र के दर्द अलम से पीये जाएँगे
तेरी यादों की रातों में रोएंगे हम
इश्क में ये सितम भी सहे जाएँगे
हद से ज़्यादा ये दर्द जब बढ़ जाएगा
हम ख़ामोशी को तोड़ गजल गाएँगे
जब फुरक़त के सदमे मिले हैं हमें
तुमसे मिलने की दुआ बस माँगेंगे
30.शीशे के खिलौनों से खेला नहीं जाता
रेतों के घरौंदों को तोड़ा नहीं जाता
आहिस्ते से आती हवा को कैसे कहूँ मैं
कि बेशरमी से बदन को छुआ नहीं जाता
जलते हुए दिलों की निशानी जो दे गया
कुछ ऐसे चिरागों को बुझाया नहीं जाता
बनती हुई तस्वीर तेरी चाँद बन गई
अब मेरे तसव्वुर का उजाला नहीं जाता
Ishq Ki Shayari Collection
31.तन्हाई की फिज़ा में आशियाँ की जिंदगी
दुनिया की जिंदगी से परेशाँ है जिंदगी
मैं जिंदगी से उठता धुँआ बुझा-बुझा
खाकों के रहगुजर पे नश्तर है ज़िंदगी
आख़िर मुहब्बतों के दरम्याँ हैं हिज्र ही
जहाँ दर्द ही दवा है और जहर है जिंदगी
अब तो करीब आओ कि मुद्दतें हुए मिले
जब तक तू मेरे पास है, दिलबर है जिंदगी
32.समर्पित है ये प्यार एक मूरत को
भूल न पाऐंगे उस दर्द भरी सूरत को
उसकी तस्वीर है मेरी इन निगाहों में बसी
अश्क ही चाहिए जलने के लिए दीपक को
ये मेरा दर्द मेरे सीने में दफ़न ही रहा
और क्या चाहिए मरने के लिए आशिक को
चाहतें ना मिली तो क्या बेरूखी ही सही
वो गज़ल है जो मिली है कोरे कागज़ को
33.मेरी उदास शाम की हालत तो देखिए
ढलते हुए शबाब की सूरत तो देखिए
अश्कों में डूबता हुआ जलता हुआ दिल है
सागर में उतरता हुआ सूरज तो देखिए
जैसे उड़ता हुआ परिंदा आकाश चीड़ता हो
सीने में उठे इस दर्द की ताकत तो देखिए
तन्हा सा आधा चाँद फलक़ पे जला है
आस्मा की भीड़ में ये आशिक तो देखिए
34.दिल से गुजरे हैं इस तरह से हमदर्द सनम
दर्द ही दर्द ही दे गए हैं वो हमदर्द सनम
क्या खबर थी कि आप इतना दर्द देते हैं
हम तो समझे थे कि आप भी हैं बेदर्द सनम
बाँटकर देखिए हमसे भी अपने गम को
दिल के मसले पे न बनिए खुदगर्ज़ सनम
आपकी हूँ और हमेशा आपकी ही रहूँ
यही ख़्वाहिश है, आप समझें मेरा दर्द सनम
35.रातों में सुनी है मगर देखी तो नहीं
एक आह सी आती है, उनकी तो नहीं
अपना हुनर तराशा है जिसके हुस्न से
मेरी इन गज़लों में वही अक़्स तो नहीं
दिल को ये दिलासा है, वो है जमीं पे
ये चाँद उसी दिलदार का साया तो नहीं
जिस अज़नबी ने मुझको तलबगार किया है
उनसे मेरे रूह का कोई रिश्ता तो नहीं
36.मैं हूँ परिंदा भी नहीं और आस्मा भी नहीं
लेकिन मेरा दिल इन दोनों से कम भी नहीं
मेरा सबकुछ लुट गया, मैं वो खुशनसीब हूँ
आज दुनिया में कुछ खोने का गम भी नहीं
मुफलिसी मेरा ख़ुदा है, फ़ाक़ामस्ती इबादत है
जिंदगी के बारे में अब कोई वहम भी नहीं
सबकी तरह बेदर्द थे हम जब इश्क से बेगाने थे
जिसने दर्दे-दिल दिया, आज वो सनम भी नहीं
37.दुनिया को हम इस कदर दिल से ठुकराते हैं
इस खून की बस्ती में बस आँसू बहाते हैं
जिनके बगैर हमको आता नहीं चैन कभी
उनकी ही तरफ हम तो नजरें न उठाते हैं
जीने को आए हैं पर आखिर क्यूँ आए हैँ
ऐसे ही सवालों को हम सोचते रह जाते हैं
दम मेरा है घुटता इस भीड़ में अब रहके
बस चाँद संग तन्हाई में हम साँस ले पाते हैं
Pyaar Mohabbat ki Shayari
38.जो अपने घर से जुड़े हैं एक मुद्दत से
वो ही डरते रहे बहुत इस मुहब्बत से
पत्थरों के मुहल्ले में सभी पैदा हो गए
उबर न पाए कभी वो बुतों की हसरत से
हर एक रिश्ते का नाम बस तिजारत है
जमाना खाली है यहाँ दिलों की कुरबत से
कहीं से आके कोई छीन न ले दौलत को
मरे हैं शहर में कई लोग इस दहशत स
39.हर आदमी में वफा हो ऐसा हो नहीं सकता
गुलशन का हरेक फूल खुशबू दे नहीं सकता
तुम मुझसे मुखातिब हो ऐसे क्यूँ देखते हो
क्या मेरे सिवा तुमको कुछ और नहीं दिखता
मेरा दर्दो-बयां सुनकर ऐसे वो हँस पड़े
जैसे कि रोने का उन्हें मौका नहीं मिलता
सब साथ चल पड़े थे मगर राह तो कई थे
हर मोड़ पे बिछड़ा हुआ फिर साथ नहीं चलता
40.दुनिया के पत्थरों का ऐतबार न करो
आईने के टूटने का इंतजार न करो
वो इश्क क्या करे जो रस्मों को निभाते हैं
उस बेवफा का तूम भी दरकार न करो
ये चाँद आसमान की सिर्फ मिट्टी नहीं है
बेदर्द निगाहों से उसका दीदार न करो
ऐ मेरे गमे-दिल तू जीने का हौसला रख
यूँ मौत की तमन्ना तूम सौ बार न करो
41.छूते रहे वो दिल मेरा गज़ल की आग से
जलते रहे हम रातभर शायर की बात से
कहने लगे कि उनकी नज़र यूँ उदास है
पलकों में रखे अश्क न गिर पाते आँख से
जाने की जिद पकड़ लिए वो आधी रात को
फिर रूक गए अचानक वो अपने आप से
यूँ रोज ही जवाँ रहे महफिल इसी तरह
और आप गजल गाएँ लबों के साज से
42.ऐसा लगता है मुझे तू रातभर सोयी नहीं
खा कसम मेरी कि तू रातभर रोयी नहीं
बन गयी है जुल्फें तेरी उजड़ी-उजड़ी सी बहार
आँधियों में घिर के भी तू चमन से गई नहीं
ये तेरा उदास चेहरा, ये तेरी गमगीन आँखें
आने से पहले जरा तू आईने में झाँकी नहीं
हूँ मैं हैराँ देखकर कि क्या ये तेरा हाल है
इश्क में मुझपे कभी ऐसी कयामत आती नहीं
43.देनेवाले दे ही देंगे, जान छोटी चीज है
रू-ब-रू तेरे हर एक सामां छोटी चीज है
मेरे दिल पे छा गया है इश्क का ऐसा जुनूं
अब जिंदगी का अरमां छोटी चीज है
हँसना-रोना संग-संग चलता है एक सूरत में
आईने-गर्दिश में ये अंजाम छोटी चीज है
इतने खाए जख्म कि लगता है अब हमको
गजलों में इन सबका बयां छोटी चीज है
44.मेरे खातिर दुनिया की महफिल नहीं
वहाँ पे मैं नहीं, जहाँ पे दिल नहीं
इश्क सच्चा हो तो वो तमाशा क्यूँ बने
दर्द ऐसा नुमाइश के काबिल नहीं
आज की रात तू मेरे पहलू में नहीं
चाँद से आज कुछ भी हासिल नहीं
डूबकर जी गया हूँ मैं अपने अंदर
मैं जमाने की लाशों में शामिल नहीं
45.घूँघट उठा ऐ अज़नबी, सूरत दिखा ज़रा
पर्दे की ओट में न छिप, बाहर निकल ज़रा
दिल के सफ़र में कट गई रातें जगी हुई
मुद्दत हुए सोया नहीं, लोरी सुना ज़रा
बढ़ती हुई ये धड़कनें, होती हुई तेज साँस
पसीने-पसीने हो गया, आंचल डुला ज़रा
राहत मिलेगी चंद पल तुझको निहारकर
तस्वीर के मानिंद ही आँखों में आ ज़रा
46.चाहे कोई भी मौसम हो, सबको मैं अपनाता हूँ
न कोई अपना, न ही पराया, सबको गले लगाता हूँ
एक कयामत जब है गुजरती, दूजी कयामत आती है
जीवन के इस सच को भी मैं आठों पहर दुहराता हूँ
सबके दिल के रहगुजरों पे काँटे ही देखे हमने
दर्द की कोई बात करे तो अपनी गज़ल सुनाता हूँ
हो जाता है दिल ये हल्का गम के आँसू रोने से
लेकिन भारी मन लेकर ही आखिर में रह जाता हूँ
Pyaar Me Judai Ki Shayariya
47.तन्हा ही रहने की आदत है हमको
तो लोगों से मिलके क्या करें
अपनी खबर जब हमको नहीं है
तो किसके बारे में क्या कहें
जब थे चले हम अपने सफर पे
कोशिश तो की थी मिलने की सबसे
लेकिन हमें तब तज़रबा हुआ था
कि इन बेवफाओं से क्या मिलें
देखा है जबसे नंगी हकीकत
कपड़े पहनने कम कर दिए हैं
जरूरत है आखिर में एक कफन की
तो जिस्म सजा के क्या करें
48.दुनिया ने दीवानों को सदियों से है ठुकराया
आज़ाद परिंदों को कोई न समझ पाया
चलते हुए राहों पे देखूँ मैं, सुनूँ भी तो क्या
जब शहर के लोगों में ये दिल ही ना मिल पाया
हम तुमसे जुड़े थे तो रोने में अदा भी थी
अब टूट गए हैं तो आँसू ना निकल पाया
अपने भी, पराए भी, कुछ दूर के साथी हैं
हमने तो यहाँ सबको महरूमे-वफा पाया
49.पागल-पागल सब कहते हैं, दीवाने तुम कहते हो
मुझपे सबने पत्थर फेंका, फूलें तुम बरसाते हो
पल दो पल ये साथ हमारा, एक मुसाफिर एक हसीना
आवारों की गर्दिश में तुम हुस्न की शमा जलाते हो
ये दुनिया मेरी कातिल है, तूने जान बचायी मेरी
मुज़रिम तेरे पीछे पड़े हैं, उनसे तुम टकराते हो
तुमने सागर को देखा है, हमने बस तुमको देखा
ठहरे अश्क में डूबी निगाहें, गहरे दर्द में जीते हो
50.मुझे देखकर मुँह फेर लो, ऐसी भी क्या तेरी बेरूखी
महफिल में दूर-दूर हो, ऐसी भी क्या तेरी बेबसी
मुड़के जो देखती हो तुम, मजबूर हो क्यूँ दिल से तुम
मुझे इस तरह न तलाश कर कि बदनाम हो दीवानगी
जब-जब सितम तूने किया, हम सह गए दिल खोल कर
जालिम है तेरी हर अदा, कातिल है तेरी आशिकी
खत की तरह खामोश तुम, तेरा हुस्न ही मजमून है
तेरे नैनों पे गजल लिखी, तेरे नक्श में है शायरी
Payar Me Bewafai Ki Shayari
51.अभी बरसात है, कभी रूकती कभी गिरती हुई
और एक शाम है भीगी हुई सी ढलती हुई
कौन जाने कि ये घटाएँ कहाँ तक जाएँगी
जाने किस मोड़ पे बेवफा होगी हवा चलती हुई
जिस जगह कोई तलाशेगा वज़ूद अपना
वहीं मिल जाएगी एक दरिया उसे रोती हुई
ये फलक़ कितने मुसाफिरों का आशियाना है
फिर भी चिंगारियाँ हैं उसके दामन में जलती हुई
52.मैं जिस्म ओ जान के खेल में बे-बाक हो गया;
किस ने ये छू दिया है कि मैं चाक हो गया;
किस ने कहा वजूद मेरा खाक हो गया;
मेरा लहू तो आप की पोशाक हो गया!
53.मैं तो पीती हूँ कि साँस लेने में दिक्कत ना हो
कोई तो शख़्स हो जिसे मुझसे शिकायत ना हो
वो मिला था कितनी बार मैं गिन ना सकी
अब जो मिल जाए तो फुरक़त की नौबत ना हो
रूह जि़ंदा है मगर ज़िस्म एक बोझ सा है
अपने शानो पे किसी की ऐसी मैयत ना हो
तिश्नगी है, तमन्ना है और अब तन्हाई भी है
मेरी महफ़िल में तबस्सुम की कोई आहट ना हो
54.उदास रात का मंजर है कैसा धुंधला-धुंधला
देखिए आज तो मौसम है कुछ बदला-बदला
मायूस अंधेरे के साये में जी रहा हूँ तन्हा
जाने कब चाँद दिखेगा मुझे उजला-उजला
इस ज़माने के गुलशन को गौर से देखा
मुझे हर फूल मिला घर में मसला-मसला
हम तो कहते हैं आपसे है जनम का रिश्ता
आप क्यों इस प्यार को कहती हैं पहला-पहला
55.यूँ मिले कि मुलाक़ात हो ना सकी;
होंठ काँपे मगर कोई बात ना हो सकी;
मेरी खामोश निगाहें हर बात कह गयी;
और उनको शिकायत है कि कोई बात ना हो सकी!
56.हम वस्ल के वहम में जीये जाएँगे
हिज़्र के दर्द अलम से पीये जाएँगे
तेरी यादों की रातों में रोएंगे हम
इश्क में ये सितम भी सहे जाएँगे
हद से ज़्यादा ये दर्द जब बढ़ जाएगा
हम ख़ामोशी को तोड़ गजल गाएँगे
जब फुरक़त के सदमे मिले हैं हमें
तुमसे मिलने की दुआ बस माँगेंगे
57.लोग कहते हैं पिये बैठा हूँ मैं;
खुद को मदहोश किये बैठा हूँ मैं;
जान बाकी है वो भी ले लीजिये;
दिल तो पहले ही दिये बैठा हूँ मैं!
58.शीशे के खिलौनों से खेला नहीं जाता
रेतों के घरौंदों को तोड़ा नहीं जाता
आहिस्ते से आती हवा को कैसे कहूँ मैं
कि बेशरमी से बदन को छुआ नहीं जाता
जलते हुए दिलों की निशानी जो दे गया
कुछ ऐसे चिरागों को बुझाया नहीं जाता
बनती हुई तस्वीर तेरी चाँद बन गई
अब मेरे तसव्वुर का उजाला नहीं जाता
59.लाखो की हंसी तुम्हारे नाम कर देंगे;
हर खुशी तुम पे कुर्बान कर देंगे;
आये अगर हमारे प्यार मे कोई कमी तो कह देना;
इस जिन्दगी को आखरी सलाम कह देंगे!
60.उस के साथ रहते रहते हमें चाहत सी हो गयी;
उससे बात करते करते हमें आदत सी हो गयी;
एक पल भी न मिले तो न जाने बेचैनी सी रहती है;
दोस्ती निभाते निभाते हमें मोहब्बत सी हो गयी।
61.तेरे हाथों में मुझे अपनी तक़दीर नज़र आती है;
देखूं मैं जो भी चेहरा तेरी तस्वीर नजर आती है।
62.मेरी शायरी की तो जान है तू;
दिल में खुदा की पहचान है तू;
बिन देखे सूरत तेरी, रहूँ मैं उदास;
मेरे होंठों की सनम मुस्कान है तू।
63.दिल ही दिल में हम तुमसे प्यार करते हैं;
हम ऐसे हैं जो मोहब्बत में जाँ निसार करते हैं;
निगाहें मिलाते हैं अक्सर लोगों से छुपाकर;
जैसे किसी गुनाह को यारो गुनाहगार करते हैं।
64.मत सोचना मेरी जान से जुदा है तू;
हकीकत में मेरे दिल का खुदा है तू।
मैं खुद पहल करूँ या उधर से हो इब्तिदा;
बरसों गुज़र गए हैं यही सोचते हुए।
65.न जाने क्यों उससे प्यार करता हूँ मैं;
न जाने क्यों उसपे जान निस्सार करता हूँ मैं;
यह जानता हूँ वह देगा धोखा एक दिन;
फिर भी जाने क्यों उसपे ऐतबार करता हूँ मैं।
66.जब तु जुदा होता है;
तब ज़िंदगी तन्हा होती है;
ख़ुशी जो तेरे पास रहकर मिलती है;
वो कहाँ लफ़्ज़ों में बयां होती है।
Payar Me Dhoke Ki Shayari
67.खुदा से भी पहले तेरा नाम लिया है मैंने;
क्या पता तुझे कितना याद किया है मैंने;
काश सुन सके तू धड़कन मेरी;
हर सांस को तेरे नाम से जिया है मैंने।
68.इत्तेफ़ाक़ से यह हादसा हुआ है,
चाहत से मेरा वास्ता हुआ है,
दूर रह कर बड़ा बेताब था दिल,
पास आ कर भी हाल बुरा हुआ है..
69.रात गुम सुम है मगर खामोश नही,
कैसे कह दूँ आज फिर होश नही,
ऐसे डूबा हूँ तेरी आँखों की गहराई में,
हाथ में जाम है मगर पीने का होश नही।
70.जब कोई ख्याल दिल से टकराता है,
दिल ना चाह कर भी खामोश रह जाता है,
कोई सब कुछ कहकर प्यार जताता है,
कोई कुछ ना कहकर भी सब बोल जाता है..
71.किसी की चाहत पर दिल से अमल करना,
दिल टुटे ना उसका इतनी फिक्र करना,
ये जिन्दगी खास है सबके लिए,
पर आप जिनके लिए खास है उनकी कदर करना..
72.मशहूर कर दिया है आपके इश्क़ ने.
कुछ इस तरह हमे.
लोग कहने लगे है की .
बेवज़ह ही मुस्कुराने लगे है हम.
73.हर कदम हर पल साथ हैं,
दूर होकर भी हम आपके पास हैं,
आपका हो न हो पर हमें आपकी कसम,
आपकी कमी का हर पल अहसास है..
74.तू सामने मेरे जब रहती है
तो मन में इक प्रेम की धारा सी बहती है !
फिर बात न हो तुमसे तो क्या है
तेरी खामौशी भी तो सब कुछ कहती है !!
75.तुम्हारे नाम को होंठों पर सजाया है मैंने,
तुम्हारी रूह को अपने दिल में बसाया है मैंने,
दुनिया आपको ढूंढते ढूंढते हो जायेगी पागल,
दिल के ऐसे कोने में छुपाया है मैंने..
76.आपके हुस्न कि तारीफ में सोचता हूँ कुछ अल्फाज लिखूं ,
लिखा ना हो जो अब तक किसी ने ऐसा कुछ आज लिखूं ,
गीत लिखूं या गजल लिखूं ,शायरी लिखूं या कलाम लिखूं ,
लिखने को बेचैन हूँ ,पर समझ ना आए क्या लिखूं..
77.किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो,
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो,
मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना,
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो..
78.माना कि तुम जीते हो ज़माने के लिये,
एक बार जी के तो देखो हमारे लिये,
दिल की क्या औकात आपके सामने,
हम जान दे देंगे आपको पाने के लिये..
79.सिर्फ इशारों में होती महोब्बत अगर,
इन अलफाजों को खुबसूरती कौन देता,
बस पत्थर बन के रह जाता ‘ताज महल’
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता..
80.प्यार करने का हुनर हमें आता नहीं,
इसीलिये हम प्यार की बाज़ी हार गये;
हमारी जिंदगी से उन्हें बहुत प्यार था;
शायद इसीलिये वो हमें जिंदा ही मार गये…
81.चुपके चुपके पहले वो ज़िन्दगी में आते हैं,
मीठी मीठी बातों से दिल में उतर जाते हैं,
बच के रहना इन हुस्न वालों से यारो,
इन की आग में कई आशिक जल जाते हैं..
82.सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहा,
सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा,
न जाने क्या बात थी उन मे और हम मे,
सारी महफिल भूल गए बस वही एक चेहरा याद रहा..
83.उससे कहते है ये नैयन मेरे,
हो जाओ मेरे, हो जाओ मेरे,
मै मुकम्मल हो गया हु तेरा,
तुम भी मुकम्मल हो जाओ मेरे..
84.इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए,
कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए,
आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था,
आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए..।
85.खूबसूरत सा एक पल किस्सा बन जाता है,
जाने कब कौन ज़िंदगी का हिस्सा बन जाता है,
कुछ लोग ज़िंदगी में मिलते हैं ऐसे,
जिनसे कभी ना टूटने वाला रिश्ता बन जाता है..
86.तेरी जबान एक झूठ रोज बोलती है,
मेरी ऑखे एक सच हमैशा पढ लेती है,
कितनी अजीब बात है छोटी सी बात पे,
डरने वाली मेरी मोहब्बत जग से लड़ लेती है..
87.हमारी गलतियों से कही टूट न जाना,
हमारी शरारत से कही रूठ न जाना,
तुम्हारी चाहत ही हमारी जिंदगी हैं,
इस प्यारे से बंधन को भूल न जाना..
88.रोज़ तेरा इंतज़ार होता है,
रोज़ ये दिल बेक़रार होता है,
काश तुम ये समझ सकते की,
चुप रहने वालों को भी किसी से प्यार होता है..
89.क्या क्या रंग दिखाती है जिंदगी,
क्या खूब इक्तेफ़ाक होता है,
प्यार में ऊम्र नही होती,
पर हर ऊम्र में प्यार होता है..
90.हर कदम हर पल साथ हैं,
दूर होकर भी हम आपके पास हैं,
आपका हो न हो पर हमें आपकी कसम,
आपकी कमी का हर पल अहसास है..
91.तू सामने मेरे जब रहती है
तो मन में इक प्रेम की धारा सी बहती है !
फिर बात न हो तुमसे तो क्या है
तेरी खामौशी भी तो सब कुछ कहती है !!
92.तुम नफरतों के धरने,
क़यामत तक ज़ारी रखो,
मैं मोहब्बत से इस्तीफ़ा,
मरते दम तक नहीं दूंगी..
93.आंखो को जब किसी की चाहत हो जाती हे,
उसे देख के ही दिल को राहत हो जाती हे,
केसे भूल सकता हे कोई किसी को,
जब किसी को किसी की आदत हो जाती हे.
94.दीवाने है तेरे नाम के,
इस बात से इंकार नहीं,
कैसे कहे कि तुमसे प्यार नहीं,
कुछ तो कसूर है आपकी आखों का,
हम अकेले तो गुनहगार नहीं..
95.नदी को सागर से मिलने से ना रोको,
बारिस की बूंदों को धरती से मिलने से ना रोको,
जिन्दा रहने के लिए तुमको देखना जरुरी है,
मुझे तुम्हारा दीदार करने से ना रोको..
96.साथ ना छूटे आप से कभी यह दुआ करता हूँ,
हाथों में सदा आपका हाथ रहे बस यही फरियाद करता हूँ,
हो भी जाये अगर कभी दूरी हमारे दरमियान,
दिल से ना हों जुदा, रब्ब से यही इल्तिजा करता हूँ..
97.चिराग खुशियों के कब से बुझाए बैठे हैं,
कब दीदार होगा उनसे हम आस लगाए बैठे हैं,
हमें मौत आएगी उनकी ही बाहों में,
हम मौत से ये शर्त लगाए बैठे हैं..
98.जिँदा है शाहजहाँ की चाहत अब तक,
गवाह है मुमताज की उल्फत अब तक।
जाके देखो ताज महल को ए दोस्तोँ,
पत्थर से टपकती है मोहब्बत अब तक.
99.लिखो तो पैगाम कुछ ऐसा लिखो की,
कलम भी रोने को मजबूर हो जाये,
हर लफ्ज में वो दर्द भर दो की,
पढने वाला प्यार करने पर मजबूर हो जाये..
100.कहती है दुनिया जिसे प्यार, नशा है , खताह है!
हमने भी किया है प्यार , इसलिए हमे भी पता है!
मिलती है थोड़ी खुशियाँ ज्यादा गम!
पर इसमें ठोकर खाने का भी कुछ अलग ही मज़ा है!
101.तज़ार की आरज़ू अब खो गई है,
खामोशियों की आदत हो गई है,
ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाईयों से हो गई है..
102.तुम्हारे नाम को होंठों पर सजाया है मैंने,
तुम्हारी रूह को अपने दिल में बसाया है मैंने,
दुनिया आपको ढूंढते ढूंढते हो जायेगी पागल,
दिल के ऐसे कोने में छुपाया है मैंने..
103.आपके हुस्न कि तारीफ में सोचता हूँ कुछ अल्फाज लिखूं ,
लिखा ना हो जो अब तक किसी ने ऐसा कुछ आज लिखूं ,
गीत लिखूं या गजल लिखूं ,शायरी लिखूं या कलाम लिखूं ,
लिखने को बेचैन हूँ ,पर समझ ना आए क्या लिखूं..
104.किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो,
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो,
मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना,
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो..
105.जिनकी झलक मे करार बहुत है,
उसका मिलना दुशवार बहुत है,
जो मेरे हांथों की लकीरों मे नहीं,
उस से हमें प्यार बहुत है..
106.चुप ना होगी हवा भी, कुछ कहेगी घटा भी,
और मुमकिन है तेरा, जिक्र कर दे खुद़ा भी।
फिर तो पत्थर ही शायद ज़ब्त से काम लेंगे,
हुस्न की बात चली तो, सब तेरा नाम लेंगे।
107.जिस दिन सपनो में उनका दीदार हो जाता है,
उस रात सोना दुस्वार हो जाता है,
मरता हे कोई हम पर भी,
ये सोच कर अपने आप से प्यार हो जाता है..
108.ज़िंदगी में बार बार सहारा नही मिलता,
बार बार कोई प्यार से प्यारा नही मिलता,
है जो पास उसे संभाल के रखना,
खो कर वो फिर कभी दुबारा नही मिलता
109.दिल में आप हो और कोई ख़ास कैसे होगा,
यादों में आपके सिवा कोई पास कैसे होगा,
हिचकियाँ कहती है आप याद करते हो,
पर बोलोगे नहीं तो मुझे एहसास कैसे होगा..
110.कसूर तो था ही इन निगाहों का,
जो चुपके से दिदार कर बैठी,
हमने तो खामोश रहने की ठानी थी,
पर बेव़फा ये जुब़ान इजहार कर बैठी..
111.काश मैं तुम्हारे दिल की बात जान सकता,
जैसा तुमने चाहा है वैसा मैं मान सकता,
जहाँ ओर ना कोई हो, बस हम दोनों ही हो,
काश मैं ऐसा एक ढूंढ कही जहां सकता,
काश उस जहां में मैं तुम में समां सकता..
112.कभी कभार ही सही, मिलने के बहाने चाहिए,
इस दिल को यादों के आशियाने चाहिए ,
जिनसे हो जाती है ज़िन्दगी ज़न्नत मेरी,
निगाहों को बस वो ही ठिकाने चाहिए..
113.हर शख्स को दिवाना बना देता है इश्क,
जन्नत की सैर करा देता है इश्क,
दिल के मरीज हो तो कर लो महोब्बत,
हर दिल को धड़कना सिखा देता है इश्क..
114.लोग खामोखां बदनाम करते हैं,
हम आशिकों को परेशां करते है,
हमसे कायम कई रवायतें हैं दुनिया की,
हम ही हैं जो हवा को तूफान करते हैं..
115.वो हमें भूल भी जायें तो कोई गम नहीं,
जाना उनका जान जाने से भी कम नहीं,
जाने कैसे ज़ख़्म दिए हैं उसने इस दिल को,
कि हर कोई कहता है कि इस दर्द की कोई मरहम नहीं..
116.इश्क़ सभी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सीखा देता है,
इश्क़ नहीं किया तो करके देखो,
ज़ालिम हर दर्द सहना सीखा देता है ..
117.जान है मुझको ज़िन्दगी से प्यारी,
जान के लिये कर दूँ कुरबान यारी,
जान के लिये तोड दूँ दोस्ती तुम्हारी,
अब तुमसे क्या छुपाना तुम ही तो हो जान हमारी..
118.काश की खुशियो की दुकान होती,
उनमे हमारी थोरी पहचान होती,
सारी खुशियाँ डाल देता तेरी दामन मे चाहे,
उनकी कीमत हमारी जान क्यो न होती..
119.ना तू मंज़िल,ना ही राह तू,
ना तू मुस्कराहट, ना ही आह तू,
ना तू दिल,ना तू धड़कन ना ही जान तू,
ना तू ख्वाब मेरा, ना ही अरमान तू,
ना ही कोई आब है तू,आँख मेरी भरने के लिए,
तू तो साँस है मेरी,हर बार आती है,
मुझको ज़िंदा करने के लिए..
120.जो कभी किया ना असर शराब ने,
वो तेरी आँखों वे कर दिया,
सजा़ देना तो मेरी मुठ्ठी मे थी,
मुझे हि कैद तेरी सलाखों ने कर दिया ..।
121.तुझे कुछ इस तरह सजाएंगे,
चाँद नहीं अपनी कायनात बनाएंगे,
तोड़ना-टूटना, ये दिल की अदा है,
तुझे हम अपनी रूह मे समाएंगे..
122.ना वो कुछ कहते हैं, ना कुछ हम कहते हैं;
मगर निगाहें बहुत कुछ, होंठ कुछ कम कहते हैं;
हम चाहते हैं कुछ वो कहें कुछ हम कहें;
बात यही हम बार-बार तुझसे सनम कहते है।
123.आजाद कर देंगे तुम्हें अपनी चाहत की कैद से;
मगर, वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी!
124.कुछ ठोकरों के बाद, नज़ाक़त आ गई मुझ में;
मैं अब दिल के मशवरों पे, भरोसा नहीं करता!
125.किन लफ्जों में लिखूँ, मैं अपने इन्तजार को तुम्हें;
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा, और ढूँढता हैं खामोशी से तुझे!
126.करते नहीं इज़हार फिर क्यों करते हो तुम प्यार,
नज़रों से बातें बहुत हुई अब लब से करो इकरार।
127.हमने हमारे इश्क़ का इज़हार यूँ किया;
फूलों से तेरा नाम पत्थरों पे लिख दिया।
128.तुम से बिछड के फर्क बस इतना हुआ;
तेरा गया कुछ नहीँ और मेरा रहा कुछ नहीँ!
129.चुपचाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये ज़िन्दगी;
लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है।
130.आईना फैला रहा है खुदफरेबी का ये मर्ज;
हर किसी से कह रहा है आप सा कोई नहीं!
131.अपनी हालात का ख़ुद अहसास नहीं है मुझको;
मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूं मैं!
132.सिर्फ एक बार आओ दिल में, देखने मोहब्बत अपनी;
फिर लौटने का इरादा हम तुम पर छोड़ देंगे!
133.खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाऊँगा;
वरना मुसाफिर खुद्दार हूँ, यूँ ही गुज़र जाऊँगा!
134.तेरे हाथ से मेरे हाथ तक, वो जो हाथ भर का था फ़ासला;
उसे नापते, उसे काटते मेरी सारी उमर गुज़र गयी!
135.वो शख्स मिला तो महसूस हुआ मुझे;
मेरी ये उम्र मोहब्बत के लिए बहुत है कम!
136.ठुकराया हमने भी बहुतों को है तेरी खातिर;
तुझसे फासला भी शायद उन की बददुआओं का असर है!
137.उड़ रही है पल पल ज़िन्दगी रेत सी;
और हमको वहम है कि हम बडे हो रहे हैं!
138.हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से;
देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में!
139.अगर मैं भी मिजाज़ से पत्थर होता;
तो खुदा होता या तेरा दिल होता!
140.समंदर बेबसी अपनी किसी से कह नहीं सकता;
हजारों मील तक फैला है, फिर भी बह नहीं सकता!
141.मैं तुम्हें इसलिए सलाह नहीं दे रहा हूँ कि मैं ज्यादा समझदार हूँ;
बल्कि इसलिए दे रहा हूँ कि मैंने जिन्दगी में गलतियां तुम से ज्यादा की हैं!
142.न कोई फ़साना छेड़ा, न कोई बात हुई;
कहने को कह लीजिये, कि मुलाक़ात हुई!
143.पूछ रही है आज मेरी शायरियाँ मुझसे कि;
कहाँ उड़ गये वो परिंदे जो वाह वाह किया करते थे!
144.तुम उलझे रहे हमें आजमाने में;
और हम हद से गुजर गए तुम्हें चाहने में!
145.बहारों में भी मय से परहेज़ तौबा;
ख़ुमार आप काफ़िर हुए जा रहे हैं!
146.चलो माना की हमे प्यार का इजहार करना नहीं आता;
जज्बात न समझ सको इतने नादान तो तुम भी नही!
147.कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की;
हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती!
148.आजाद कर देंगे तुम्हें अपनी चाहत की कैद से;
मगर, वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी!
149.कुछ ठोकरों के बाद, नज़ाक़त आ गई मुझ में;
मैं अब दिल के मशवरों पे, भरोसा नहीं करता!
150.किन लफ्जों में लिखूँ, मैं अपने इन्तजार को तुम्हें;
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा, और ढूँढता हैं खामोशी से तुझे!
151.करते नहीं इज़हार फिर क्यों करते हो तुम प्यार,
नज़रों से बातें बहुत हुई अब लब से करो इकरार।
152.हमने हमारे इश्क़ का इज़हार यूँ किया;
फूलों से तेरा नाम पत्थरों पे लिख दिया।
153.चलो माना की हमे प्यार का इजहार करना नहीं आता;
जज्बात न समझ सको इतने नादान तो तुम भी नही!
154.कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की;
हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती!
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