इंतेज़ार में शायरियां | intezaar Mein Shayari

1.दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के,
न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है।
2.किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इंतज़ार को तुम्हें,
बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूंढ़ता है खामोशी से तुझे।
3.दिन रात की बेचैनी है, ये आठ पहर का रोना है,
आसार बुरे हैं फुरकत में, मालूम नहीं क्या होना है।
4.उठा कर चूम ली हैं चंद मुरझाई हुई कलियाँ,
तुम न आये तो यूँ जश्न-ए-बहारां कर लिया मैंने।
5.खुद हैरान हूँ मैं अपने सब्र का पैमाना देख कर,
तूने याद भी ना किया और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा।
6.हर आहट पर साँसें लेने लगता है,
इंतज़ार भी भला कभी मरता है।
7.उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम इंतज़ार का,
पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहार का।
8.ये जो पत्थर है आदमी था कभी,
इस को कहते हैं इंतज़ार मियां।
9.रात क्या होती है हमसे पूछिए,
आप तो सोये सवेरा हो गया।
10.कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है एक रात के लिये।
11.वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर,
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिए।
12.हालात कह रहे हैं मुलाकात नहीं मुमकिन,
उम्मीद कह रही है थोड़ा इंतज़ार कर।
13.आँखें रहेंगीं शाम-ओ-शहर मुन्तज़िर तेरी,
आँखों को सौंप देंगे तेरा इंतज़ार हम।
14.अब इन हदों में लाया है इंतज़ार मुझे,
वो आ भी जायें तो आये न ऐतबार मुझे।
15.इस शहर-ए-बे-चराग में जाएगी तू कहाँ,
आ ऐ शब-ए-फिराक़ तुझे घर ही लें चलें।
16.यकीन है कि न आएगा मुझसे मिलने कोई,
तो फिर ये दिल को मेरे इंतज़ार किसका है।
17.कभी किसी का जो होता था इंतज़ार हमें,
बड़ा ही शाम-ओ-सहर का हिसाब रखते थे।
18.आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया,
19.दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
20.आधी से ज्यादा शबे-ग़म काट चुका हूँ,
अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है।
21.यकीन है कि ना आएगा मुझसे मिलने कोई,
तो फिर इस दिल को मेरे इंतज़ार किसका है।
22.मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो,
इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।
23.कासिद पयामे-शौक को देना बहुत न तूल,
कहना फ़क़त ये उनसे कि आँखें तरस गयीं।
24.बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तेरा वजूद,
बेकार महफ़िलों में तुझे ढूँढता हूँ मैं।
25.एक आरज़ू है अगर पूरी परवरदिगार करे,
मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतज़ार करे।
26.निगाहों में कोई भी दूसरा चेहरा नहीं आया,
भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का।
27.बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
कब लौट के आते हैं छोड़ कर जाने वाले।
28.दिल जलाओ या दिए आँखों के दरवाज़े पर,
वक़्त से पहले तो आते नहीं आने वाले।
29.तमाम उम्र तेरा इंतज़ार कर लेंगे,
मगर ये रंज रहेगा कि ज़िंदगी कम है।
इंतेज़ार करने वालों के लिए शायरी
30.उसे भुला दे मगर इंतज़ार बाकी रख,
हिसाब साफ न कर कुछ हिसाब बाकी रख।
31.ये इंतज़ार न ठहरा कोई बला ठहरी,
किसी की जान गई आपकी अदा ठहरी।
32.ये आँखे कुछ तलाशती रहती हैं,
कोई तो है जिस का इन्हें इंतजार है
33.रात भर जागते रहने का सिला है शायद,
तेरी तस्वीर सी महताब में आ जाती है।
34.न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उम्मीद,
मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था।
35.कमाल-ए-इश्क़ तो देखो वो आ गए लेकिन,
वही है शौक़ वही इंतज़ार बाक़ी है।
36.ये इंतज़ार सहर का था या तुम्हारा था,
दिया जलाया भी मैंने दिया बुझाया भी।
37.मुद्दत हुई पलक से पलक आशना नहीं,
क्या इससे अब ज्यादा करे इंतज़ार चश्म।
38 तमाम रात मेरे घर का एक दर खुला रहा,
मैं राह देखता रहा वो रास्ता बदल गया।
39.कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे।
40.जो तेरी मुंतज़िर थीं वो आँखें ही बुझ गई,
अब क्यों सजा रहा है चिरागों से शाम को।
41.कुछ रोज़ यह भी रंग रहा तेरे इंतज़ार का,
आँख उठ गई जिधर बस उधर देखते रहे
इंतेज़ार में शायरियां | intezaar Mein Shayari
42.मुद्दत से ख्वाब में भी नहीं नींद का ख्याल,
हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतज़ार है।
43.फिर मुक़द्दर की लकीरों में लिख दिया इंतज़ार,
फिर वही रात का आलम और मैं तन्हा-तन्हा।
44.मिलने से भी अजीज है मिलने की आरजू,
है वस्ल से भी जियादा मजा इंतज़ार में।
45.किसी रोज़ होगी रोशन मेरी भी ज़िंदगी,
इंतज़ार सुबह का नहीं तेरे लौट आने का है।
46.पलकों पर रूका है समन्दर खुमार का,
कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का।
47.तमाम उम्र यूँ ही हो गयी बसर अपनी,
शबे-फिराक गयी, रोजे-इंतज़ार आया।
48.इक मैं कि इंतज़ार में घड़ियाँ गिना करूँ,
इक तुम कि मुझसे आँख चुराकर चले गये।
49.इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के,
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के।
50.मेरी इक उमर कट गई है तेरे इंतज़ार में,
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिनसे एक रात।
51.अब तेरी मोहब्बत पर मेरा हक तो नहीं सनम,
फिर भी आखिरी साँस तक तेरा इंतजार करेंगे।
52.ये कह कह के हम दिल को समझा रहे हैं,
वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं।
इंतजार में शायरी | intezaar mein Shayari
53.उठ-उठ के किसी का इंतज़ार करके देखना,
कभी तुम भी किसी से प्यार करके देखना।
54.उम्र-ए-दराज माँग कर लाये थे चार दिन,
दो आरज़ू में कट गए दो इंतज़ार में।
55.एक आरज़ू है अगर पूरी परवरदिगार करे,
मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतज़ार करे।
56.यकीन है कि ना आएगा मुझसे मिलने कोई,
तो फिर इस दिल को मेरे इंतज़ार किसका है।
57.वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी,
इंतज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे।
58.कभी किसी का जो होता था इंतज़ार हमें,
बड़ा ही शाम-ओ-सहर का हिसाब रखते थे।
59.यकीन है कि न आएगा मुझसे मिलने कोई,
तो फिर ये दिल को मेरे इंतज़ार किसका है।
60.इस शहर-ए-बे-चराग में जाएगी तू कहाँ,
आ ऐ शब-ए-फिराक़ तुझे घर ही लें चलें।
61.मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो,
इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।
62.आधी से ज्यादा शबे-ग़म काट चुका हूँ,
अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है।
63.बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तेरा वजूद,
बेकार महफ़िलों में तुझे ढूँढता हूँ मैं।
64.कासिद पयामे-शौक को देना बहुत न तूल,
कहना फ़क़त ये उनसे कि आँखें तरस गयीं।
65.बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तेरा वजूद,
बेकार महफ़िलों में तुझे ढूँढता हूँ मैं।
66.बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
कब लौट के आते हैं छोड़ कर जाने वाले।
67.दिल जलाओ या दिए आँखों के दरवाज़े पर,
वक़्त से पहले तो आते नहीं आने वाले।
68.तमाम उम्र तेरा इंतज़ार कर लेंगे,
मगर ये रंज रहेगा कि ज़िंदगी कम है।
69.ये इंतज़ार न ठहरा कोई बला ठहरी,
किसी की जान गई आपकी अदा ठहरी।
70.उसे भुला दे मगर इंतज़ार बाकी रख,
हिसाब साफ न कर कुछ हिसाब बाकी रख।
71.बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
कब लौट के आते हैं छोड़ कर जाने वाले।
72.निगाहों में कोई भी दूसरा चेहरा नहीं आया,
भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का।
73.ये आँखे कुछ तलाशती रहती हैं,
कोई तो है जिस का इन्हें इंतजार है।
74.रात भर जागते रहने का सिला है शायद,
तेरी तस्वीर सी महताब में आ जाती है।
75.ये इंतज़ार सहर का था या तुम्हारा था,
दिया जलाया भी मैंने दिया बुझाया भी।
76.न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उम्मीद,
मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था।
77.कमाल-ए-इश्क़ तो देखो वो आ गए लेकिन,
वही है शौक़ वही इंतज़ार बाक़ी है।
78.इनको न कभी आँख से गिरने देता हूँ,
उनको लगते हैं मेरी आँख में प्यारे आँसू
79.क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता,
आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता।
80.निकल जाते हैं तब आँसू जब उनकी याद आती है,
जमाना मुस्कुराता है मोहब्बत रूठ जाती है।
81.ना जाने आखिर इन आँसूओ पे क्या गुजरी,
जो दिल से आँख तक आये मगर बह ना सके।
82.आ देख मेरी आँखों के ये भीगे हुए मौसम,
ये किसने कह दिया कि तुम्हें भूल गये हम।
83.उस अश्क की तासीर से अल्लाह बचाये,
जो अश्क आँखों में रहे और न बरसे।
84.सोचा ही नहीं था जिंदगी में ऐसे भी फसाने होंगे,
रोना भी जरुरी होगा आँसू भी छुपाने होंगे।
85.आज तो झगड़ा होगा तुझसे ऐ खुदा,
मुश्किलें बढ़ा दी तो सब्र भी बढ़ा देता।
86.पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,
सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं।
87.दिल से दिल मिले या न मिले हाथ मिलाओ,
हमको ये सलीका भी बड़ी देर से आया।
88.बेगुनाह कोई नहीं गुनाह सबके राज़ होते हैं,
किसी के छुप जाते हैं, किसी के छप जाते हैं।
89.मैं एक शाम जो रोशन दिया उठा लाया,
तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया।
90.आज तो झगड़ा होगा तुझसे ऐ खुदा,
मुश्किलें बढ़ा दी तो सब्र भी बढ़ा देता।
91.नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।
92.जाहिर नहीं करता पर मैं रोज रोता हूँ,
शहर का दरिया मेरे घर से निकलता है।
93.दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं।
94.आइना देखा जब तो खुद को तसल्ली हुई,
खुदगर्जी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें।
95.हुआ सवेरा तो हम उनके नाम तक भूल गए
जो बुझ गए रात में चरागों की लौ बढ़ाते हुए।
96.टपक पड़ते हैं आँसू जब तुम्हारी याद आती है,
ये वो बरसात है जिसका कोई मौसम नहीं होता।
97.हर बात पर नम हो जाती हैं आँखें मेरी अक्सर,
जहाँ भर के अश्क खुदा मेरी पलकों में रख भूला।
98.वापसी का सफ़र अब न मुमकिन होगा,
हम निकल चुके हैं आँख से आँसू की तरह।
99. पलकों से पानी गिरा है तो उसे गिरने दो,
सीने में कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी।
100.मेरा शहर तो बारिशों का घर ठहरा,
यहाँ की आँख हों या दिल बहुत बरसते हैं।
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