रोचक जानकारी :- छिपकलियां दीवारों पर चिपक कर कैसे चल लेती हैं? || चींटी एक लाइन में कैसे चलती हैं?

 (1)  बर्फ पानी के ऊपर क्यों तैरती है?

 
जब कोई भी तरल पदार्थ ठोस पदार्थ में बदलता है तो उसका आयतन घट जाता है और वह  भारी हो जाता है लेकिन पानी के साथ ऐसा नहीं होता पानी जब ठोस अवस्था के लिए जमकर बर्फ बनता है तो उसका आयतन घटने के स्थान पर बढ़ जाता है जिसके कारण वह पानी की तुलना में हल्की हो जाती है इसीलिए बर्फ पानी में तैरती रहती है।


(2)  छिपकलियां दीवारों पर चिपक कर कैसे चल लेती हैं? 

 
 

 छिपकली के पैर छोटे छोटे और शरीर बेलनाकर होता है  इनके पैरो की बनावट कुछ ऐसी होती है कि जब छिपकली दीवार के ऊपर चलती है तो उनके पैरो और दीवार के बीच निर्वात अर्थात शुन्य पैदा हो जाता है जिस कारण उनके पैर दीवार पर चिपक जाते हैं बाहरी हवा का दबाव भी उसे  दीवार पर चलने में सहायक  होता हैं ||

 

(3)  चींटी एक लाइन में कैसे चलती हैं?

 
चींटियों में कुछ ग्रंथियाँ होती हैं जिनसे फ़ैरोमोंस नामक रसायन निकलते हैं। इन्हीं के ज़रिए वो एक दूसरे के संपर्क में रहती हैं। चींटियों के दो स्पर्शश्रंगिकाएं या ऐंटिना होते हैं जिनसे वो सूंघने का काम करती हैं। रानी चींटी भोजन की तलाश में निकलती है तो फ़ैरोमोंस छोड़ती जाती है।

दूसरी चीटियाँ अपने ऐंटिना से उसे सूंघती हुई रानी चींटी के पीछे-पीछे चली जाती हैं। जब रानी चींटी एक ख़ास फ़ैरोमोन बनाना बंद कर देती है तो चीटियाँ, नई चींटी को रानी चुन लेती हैं। फ़ैरोमोंस का प्रयोग और बहुत सी स्थितियों में होता है। जैसे अगर कोई चींटी कुचल जाए तो चेतावनी के फ़ैरोमोन का रिसाव करती है जिससे बाक़ी चींटियाँ हमले के लिए तैयार हो जाती हैं। फ़ैरोमोंस से यह भी पता चलता है कि कौन सी चींटी किस कार्यदल का हिस्सा है।



(4)  जुकाम हो जाने पर हमारी नाक से गंध का अनुभव होना बंद क्यों हो जाता है?

 
जुकाम हो जाने पर हमारी नाक से गंध का अनुभव होना बंद क्यों हो जाता है?

गंध को सूंघने का कार्य हमारी नाक द्वारा होता है जब हम किसी गंध को सूंघते हैं तो हमारी नाक की तंत्रिकाओं के मध्यम से गंध की सूचना हमारे मस्तिष्क को पहुचती हैं जिससे हमे गंध की जानकारी मिलती है


परन्तु जुकाम होने पर सन्देश पहुचने वाली तंत्रिकाओं के सिरे श्लेष्मा के कारण बंद हो जाते हैं जिससे गंध की जानकारी हमारे मस्तिष्क को नहीं पहुंच पाती हैं इसी कारण हमे जुकाम हो जाने पर हमारी नाक से गंध का अनुभव होना बंद हो जाता है।


(5)  आसमान में बिजली क्यों चमकती है?

आसमान में बिजली क्यों चमकती है?

बादलों में नमी होती है। यह नमी बादलों में जल के बहुत बारीक कणों के रूप में होती है। हवा और जलकणों के बीच घर्षण होता है। घर्षण से बिजली पैदा होती है और जलकण आवेशित हो जाते हैं यानी चार्ज हो जाते हैं।

बादलों के कुछ समूह धनात्मक तो कुछ ऋणात्मक आवेशित होते हैं। धनात्मक और ऋणात्मक आवेशित बादल जब एक-दूसरे के समीप आते हैं तो टकराने से अति उच्च शक्ति की बिजली उत्पन्न होती है।

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